जिंदगी की भूल-भुलैया
Monday, February 13, 2012
तारीफ़ से इस क़दर भर दिया
इस दिल को धड़कने की भी फुर्सत न मिलेगी.
तुमने इसे तारीफ़ से इस क़दर भर दिया
सूरज की तरह सल्तनत अब नूर की मेरी
पहले तो जल रहा था मैं जैसे कोई दिया.
1 comment:
Anonymous
April 6, 2012 at 3:43 AM
Mar dala
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Mar dala
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