अपने ही आप से लड़ता है दिल
अपने ही आप से लड़ता है दिल .
एक सवाल बार बार करता हैं दिल.
रोकते - रोकते रोक न सके
ऐसे मोड़ पर फिसलता हैं दिल
ख्वाहिशे अब और न रही
उसे ही पाने को तड़पता है दिल
छोर दी परवाह ज़माने की
उसके लिए ही धड़कता हैं दिल
फूल ने हसकर कहा
ऐसे क्यों मचलता हैं दिल .
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