गुमशुदा सी जिंदगी लगती है अपनी,
तनहाइयों में जैसे ढूँढता कोई सहारा है,
अपनी पहचान तो बस इतनी सी है कि,
उसने अपने होंठों से नाम मेरा पुकारा है !
दूर साहिल है बहुत मगर आस तो है,
इतना ही बहुत कि हमें दिखता कोई किनारा है,
तसल्ली कर लेते हैं यादों को साथ पा कर,
तो क्या हर्ज़ जो गर्दिशों में वक़्त हमारा है !
तुम आते हो अमावास में यूँ चाँद बन कर,
रोशन हो जाता जैसे कोई अंधियारा है,
आदत बन जायेगी तेरे संग रहने की मुझे,
क्या करें तेरा साथ ही बड़ा प्यारा है !!
तनहाइयों में जैसे ढूँढता कोई सहारा है,
अपनी पहचान तो बस इतनी सी है कि,
उसने अपने होंठों से नाम मेरा पुकारा है !
दूर साहिल है बहुत मगर आस तो है,
इतना ही बहुत कि हमें दिखता कोई किनारा है,
तसल्ली कर लेते हैं यादों को साथ पा कर,
तो क्या हर्ज़ जो गर्दिशों में वक़्त हमारा है !
तुम आते हो अमावास में यूँ चाँद बन कर,
रोशन हो जाता जैसे कोई अंधियारा है,
आदत बन जायेगी तेरे संग रहने की मुझे,
क्या करें तेरा साथ ही बड़ा प्यारा है !!

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